बेसिक स्कूलों में अध्यापकों के सवा लाख पद खाली, उच्च न्यायलय ने सरकार से मांगा जवाब, मामले की अगली सुनवाई इस दिन होगी।
प्रयागराज। प्रदेश के बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के सवा लाख से अधिक पद खाली होने और गत चार वर्षों से एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं होने से बेरोजगार अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है। 2015 बैच में बीटीसी करने वाले जौनपुर के इंदुभाल तिवारी व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार (आरटीई) 2009 में स्कूलों में शिक्षकों के दस प्रतिशत से अधिक पद खाली नहीं होने चाहिए, लेकिन 2018 से शिक्षकों की भर्ती न होने से वर्तमान में प्रदेश के कई जिलों में 25 प्रतिशत से अधिक पद अब भी रिक्त पड़े हैं।
याचिकाकर्ताओं ने गोरखपुर जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि अब भी कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में करीब 33 फीसदी पद खाली हैं। हाईकोर्ट ने 21 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए सरकार व अन्य से जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई 2 मई को तय की है। ज्ञात हो कि बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की ओर से विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा गया था कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के 5,80,084 पद सृजित किये गये हैं, जबकि कार्यरत नियमित शिक्षकों की संख्या 4,53,594 है। शिक्षामंत्री के जवाब से साफ है कि नियमित शिक्षकों के 1,26,490 पद अब भी खाली हैं।
सवा लाख पद खाली, नई भर्ती के लिए अभ्यर्थी पहुचें कोर्ट
● स्कूलों में नियमित शिक्षकों के 5,80,084 पद सृजित किए गए हैं।
● वर्तमान में 4,53,594 शिक्षक कार्यरत हैं, 126490 पद रिक्त हैं।
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, 3 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई।
तमाम जिलों में 25 फीसदी से अधिक पद हैं खाली।
आरटीई में यह व्यवस्था की गई है कि शिक्षकों के दस फीसदी से ज्यादा पद खाली नहीं हैं, लेकिन वर्तमान में राज्य के कई जिलों में 25 फीसदी से अधिक पद खाली हैं। गोरखपुर में 13170 पदों के विरुद्ध 8840 नियमित शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि 4330 पद रिक्त हैं। इसी तरह अन्य जिलों में हजारों पद खाली हैं।