السبت، 18 فبراير 2023

RTE मानकों के फेर में कहीं फिर न अटक जाए, वर्षों से लंबित प्रमोशन की प्रक्रिया।

RTE मानकों के फेर में कहीं फिर न अटक जाए, वर्षों से लंबित प्रमोशन की प्रक्रिया।

PROMOTION - RTE

लखनऊ : प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में नामांकित छात्र छात्राओं की संख्या को पदोन्नति का आधार बनाने की प्रक्रिया को लेकर शिक्षक संगठनों में विरोध करना शुरू कर दिया है. करीब 10 सालों से लंबित पदोन्नित की राह देख रहे परिषदीय शिक्षकों को अब आरटीई में निहित मानकों के फेर में पदोन्नति लटकने की आशंका बढ़ गई है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार खाली पदों के अनुसार ही पदोन्नति करें। अगर वह शिक्षा के अधिकार के नियम को लागू करती है, तो ऐसे में हजारों की संख्या में शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित रहना पड़ सकता है। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो मानक दिए गए हैं उसमें प्रधानाध्यापक के पद को तब सृजित माना जाएगा, जब विद्यालयों में मानक के अनुसार बच्चो की संख्या प्राथमिक विद्यालयों में 150 होगी। अगर मानक के अनुसार स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं होगी तो प्रधानाध्यापक का पद समाप्त हो जाएगा। ऐसे में जिन शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर जिन शिक्षकों को पदोन्नति मिलनी है उनमें आरटीई के नियम को लेकर काफी ज्यादा रोष है।

शिक्षकों का मानना है कि आरटीई के तहत उच्च प्राथमिक विद्यालयों में (कक्षा 6 से 8 तक) 35 बच्चों पर एक शिक्षक, 70 बच्चों पर 2 शिक्षक व 105 बच्चों पर 3 शिक्षक का प्राविधान है।  इसके साथ ही सब्जेक्ट मैपिंग के तहत भाषा, गणित, विज्ञान व सामाजिक विषय का शिक्षक होना भी अनिवार्य है। वहीं प्राथमिक विद्यालय में 60 बच्चों पर 2 शिक्षक, 90 बच्चों पर 3, 120 बच्चों पर 4 व.150 बच्चों पर 5 शिक्षक का मानक है।  इसके अतिरिक्त आरटीई में कहा गया है कि अगर कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में छात्र संख्या 120 से अधिक है तो वहां प्रधानअध्यापक का एक पद सृजित होगा। वहीं कक्षा 1 से 5 तक 150 बच्चे होने पर 5 शिक्षक के साथ एक प्रधानाध्यापक का पद सृजित होगा। विभाग का कहना है कि प्रमोशन में तय मानक पूरे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद सृजित माना जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है कि मानक के अनुरूप बच्चे ना होने पर शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति नहीं दी जाएगी।

पदोन्नति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है बेसिक शिक्षा विभाग : 

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पिछले सात सालों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी शिक्षकों के प्रमोशन लंबित पड़े हैं। प्रदेश के हजारों विद्यालयों में जिन शिक्षकों को प्रधानाध्यापक हो जाना चाहिए था, वह सीनियर शिक्षक के तौर पर ही स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विभाग इन शिक्षकों को पे बैंड तो दे रहा है पर पदोन्नति से वंचित कर रखा है। अब जब प्रमोशन की शिक्षकों में आस जगी है, तो उसमें मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज बच्चों के संख्या के आधार पर प्रमोशन करने की बात कह रहा है। ऐसे में जिन स्कूलों में तय मानक से कम बच्चे होंगे वहां प्रधानाध्यापक का पद सृजित नही होगा। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने वार्ता के दौरान कहा कि प्रदेश में लगभग 2 करोड़ बच्चे परिषदीय विद्यालयों में नामांकित है। वर्षों से प्रमोशन नहीं हुआ है और विद्यालयों में शिक्षकों की भी कमी है। ऐसी स्थितियों में बेसिक शिक्षा विभाग क्या करना चाहता है समझ से परे है। प्रमोशन में विभाग जो आरटीई अधिनियम का हवाला दे रहा है, उसमें कहीं भी ऐसा नहीं है कि छात्र मानक पूरे नहीं होंगे तो प्रधानाध्यापक का पद प्रमोशन में नहीं जोड़ा जाएगा। 

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