परिषदीय विद्यालयों को अब प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय ही कहा जाएगा। किसी भी स्कूल का नाम पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जूनियर हाई स्कूल या संविलियन स्कूल नहीं होगा। परिषदीय विद्यालयों में मर्ज किए गए विद्यालयों के नाम, विद्यार्थियों के प्रवेश संख्या सहित अन्य बिंदुओं पर सरकार ने पूर्व में ही स्थिति स्पष्ट कर दी थी।
आने वाले दिनों में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कक्षा छह से आठ तक के स्कूलों के नाम बदल जाएंगे। अब स्कूलों के नाम में एकरूपता होगी। अभी तक जूनियर स्कूलों के लिए अलग-अलग नाम लिखे जाते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। विभाग के महानिदेशक ने इसे गंभीरता से लेते हुए नामों में एकरूपता लाने का निर्णय लिया है। सभी जूनियर स्कूलों के नाम अब उच्च प्राथमिक विद्यालय लिखे और जाने जाएंगे। अब एक विभाग-एक नाम अपनाते हुए एक ही नाम उच्च प्राथमिक विद्यालय के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सुधार करने के निर्देश दिए हैं। कक्षा 6 से 8 तक चलने वाले विद्यालयों पर लिखे नामों में एकरूपता नहीं है। कहीं शिक्षक ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय तो कहीं जूनियर हाई स्कूल लिखा हुआ है। यही अंतर यू डाइस पर अंकित नामों में भी है। नहीं लिखा जाएगा संविलियन स्कूल : जिले भर में एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को शासन स्तर पर एकजुट किया गया था। जिले में 309 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जिन्हें कक्षा 1 से 8 तक क्रमोन्नत किया गया है। शिक्षकों ने इसका नाम संविलियन विद्यालय रखा है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा, अगर किसी प्राइमरी और जूनियर स्कूल को मर्ज कर दिया गया है तो उसका नाम भी उच्च प्राथमिक विद्यालय होगा। उच्च प्राथमिक विद्यालय के बगल में कक्षा 1 से 8 तक लिखा जायेगा। अब जल्द ही स्कूलों की दीवारों पर लिखे नाम बदले हुए नजर आएंगे।
मर्ज किए गए स्कूल में चलेगी छात्र संख्या के साथ स्कूल की प्रवेश संख्या
एक ही परिसर में चल रहे सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय कर दिया गया है। शिक्षा निदेशक बेसिक ने अपने पत्र में कहा है कि मर्ज किए गए परिषदीय विद्यालयों में नया संयुक्त प्रवेश पंजिका तैयार किया जाएगा। इस संयुक्त प्रवेश पंजिका में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक किसी भी कक्षा के नवीन प्रवेश पाने वाले छात्र का नाम अंकित किया जायेगा। जिस विद्यालय में विद्यार्थियों की अधिकतम संख्या उसी विद्यालय की अंतिम प्रवेश संख्या के आगे की संख्या नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आवंटित किया जायेगा।